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Tuesday, 25 April 2017

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 5

रिश्तों में रूकावटें आने और शादी न होने की वजहें हमने पहले आर्टिकल में बताई हैं। जिन्हें आप इस लिंक पर देख सकते हैं- 

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 1

और

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 2


और 

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 3



अब देखें इस सीरीज़ का नया लेख-

रिश्ते और शादी के लिए अपनी माइंड पॉवर का इस्तेमाल कैसे करें ?
आपको अपनी शादी जैसी नेचुरल और बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है तो सिर्फ़ इसलिए कि आप ज़िन्दगी के क़ानून से नावाक़िफ़ हैं। आप इस बात को महसूस नहीं करते, लेकिन आपका माइन्ड बहुत ज़्यादा पॉवरफ़ुल है। इसमें अनन्त पोटेन्शियल  है। आप अपने ‘यक़ीन’ से कुछ भी क्रिएट कर सकते हैं।

ज़िन्दगी का क़ानून यक़ीन का क़ानून है।

जब आप आपनी माइन्ड पॉवर को समझ लेते हैं और यूनिवर्स के लॉ को अपनी भलाई में इस्तेमाल करना सीख लेते हैं तो आप अपने अवचेतन मन को रिप्रोग्राम कर सकते हैं जिससे कि आप अपनी ज़िन्दगी में अपनी पसन्द की चीज़ें पा सकते हैं और अपनी ज़िन्दगी मज़े से जी सकते हैं। आपको किसी चीज़ को पाने के लिए अपनी ज़िन्दगी में बेनतीजा संघर्ष करने की ज़रूरत नहीं है । ज़िन्दगी के पास आपके लिए एक मक़सद है और अगर आप अपने माइन्ड को सही दिशा में प्रोग्राम करें तो यह आपको ख़ुशहाली दे सकती है। इसके लिए आपको इस किताब के क़ानूनों को अमल में लाना होगा। आपके माइन्ड की नई प्रोग्रामिंग आपकी ज़िन्दगी को बदल देगी।

इसके लिए आपको बस आपको यह समझना होगा और कि यह सिस्टम कैसे काम करता है?
आपके माइन्ड के पास बहुत ज़्यादा शक्ति है। इसमें यह ख़ूबी है कि यह हरेक बीमारी ठीक कर सकता है लेकिन एक औसत आदमी अपने माइन्ड का सिर्फ़ दस परसेन्ट ही इस्तेमाल करता है और नब्बे परसेन्ट इस्तेमाल ही नहीं हो पाता।
सोचो कि अगर हम अपने माइन्ड की पूरी शक्ति को इस्तेमाल कर पाएं तो हमारा माइन्ड क्या नहीं कर सकता?
इस प्लेनेट पर हर इन्सान के पास एक जैसी शक्ति है लेकिन वे सब अपनी भलाई में इसका इस्तेमाल करना नहीं जानते। अगर हम चन्द लोगों को इकठ्ठा करें और उनकी माइन्ड पॉवर को पूरा इस्तेमाल करें तो हम एक शहर को एक सप्ताह तक बिजिली दे सकते हैं। इससे पता चलता है कि हमारा माइन्ड कितना शक्तिशाली है।
जिस वजह से हम दूसरों से अलग दिखते हैं, वह हमारा चुनाव और हमारा यक़ीन होता है जो कि हममें पहले ही प्रोग्राम किए जा चुका होता है।
जब हम मां  की कोख में होते हैं, तब से अब तक हमारे अन्दर जिस ख़ास  नज़रिए की प्रोगग्रामिंग की जाती है उससे हमें एक शेप मिलती है और हमें पता चलता है कि हम कौन हैं और हम क्या कर सकते हैं?
हममें अदभुत काम करने की शक्ति है लेकिन यह हमारा यक़ीन और ईमान होता है जिससे कि हम कुछ काम कर सकते हैं और कुछ काम नहीं कर सकते हैं।
हमारा नज़रिया या बिलीफ़ सिस्टम या प्रोग्रामिंग ही हमें दूसरों से अलग बनाता है। इस प्लेनेट पर हर इन्सान के पास उसका बिलीफ़ सिस्टम होता है जो कि उसके सोचने को, रीज़निंग को और कामों को गाइड करता है।
ये लोग कुछ भी करें, चाहे ये खेलकूद में भाग लें या व्यापार करें या ज़िन्दगी भर स्टडी करते रहें लेकिन इनकी शुरूआत एक ही होती है। वे जहां भी पहुंचते हैं अपनी माइन्ड पॉवर की वजह से पहुंचते हैं और वे उसका इस्तेमाल करके अपने मक़ाम पर पहुंचते है।
आप में यह शक्ति है कि आप कुछ भी कर सकते हैं जो भी आप करना चाहें। अगर आप माइन्ड प्रोग्रामिंग की सारी शर्तों को पूरा कर सकें तो आप अपने माइन्ड को ग्रेटेस्ट डिग्री पर इस्तेमाल कर पाएंगे।
सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि आप सचमुच चाहते क्या हैं?
दूसरा स्टेप यह है कि आप अपनी पसन्द की चीज़ अपने पास देखें। आप सुबह या रात को सोते वक़्त अपने माइन्ड को सुकून की हालत में लाएं। जो चीज़ आप पाना चाहते हैं, आप उस चीज़ के साथ ख़ुद को इस तरह विज़ुअलाईज़ करें कि वह सीन आपको सच महसूस हो और आपके अन्दर ख़ुशी का वैसा ही एहसास जाग उठे जैसा कि वह चीज़ मिलने पर आपके अन्दर सचमुच जागेगा। सुकून की हालत में बार बार यह सीन देखने और ख़ुशी महसूस करने से आप अपने अवचेतन मन तक अपना मैसेज भेज देते हैं। आपने अपना काम पूरा कर दिया।
अब तीसरा स्टेप है। जिसमें आपके मन की मुराद आपकी ज़िन्दगी में प्रकट होती है। यह सबसे अहम स्टेप है। इसे सबसे ज़्यादा तवज्जो देने की ज़रूरत है क्योंकि इसे सबसे कम समझा जाता है। इसी वजह से अक्सर लोग अपनी पसन्द की चीज़ पाने से महरूम रहते हैं।


ख़ूब अच्छी तरह जान लें कि जो मैसेज आज आप अपने सबकॉन्शियस माइन्ड को भेज रहे हैं, उसका मैटेरियलाईज़ेशन आपकी पहले हो चुकी माइन्ड प्रोग्रामिंग पर निर्भर है-आपके बिलीफ़ सिस्टम पर।
अगर आपके पुराने बिलीफ़ आपको इस सिचुएशन पर आने में सपोर्ट करते हैं तो आप आ सकते हैं। लेकिन अगर आपके बिलीफ़ आपको सपोर्ट नहीं देते तो आपके अन्दर उस चीज़ के ज़ाहिर होने के बारे में शक पैदा हो जाता है। यह शक आपकी मुराद पूरी होने को रोक देता है। आपकी ज़िन्दगी में वह चीज़ ज़ाहिर नहीं हो सकती। आपके पुराने बिलीफ़ ही आपके विकास और ख़ुशहाली को सीमित करते हैं। आप अपने ही नज़रिए की तंगी की वजह से ज़िन्दगी में नाकामी और तनाव के शिकार हैं।


इसी वजह से कामयाबी के लिए अवचेतन मन को रिप्रोग्राम करना बहुत ज़रूरी है। यह एक ऐसा मेकेनिज़्म है, जिससे आपके पुराने विचार बदल दिए जाते हैं ताकि आपको नए बिलीफ़्स मिल सकें, जो आपको सपोर्ट करते हों। कुछ स्टडीज़ ने दिखाया है कि लोग कैसे बड़े बड़े काम अपनी माइन्ड पॉवर से करते हैं। इस पॉवर के बारे में जानना और इसे अपनी भलाई में इस्तेमाल करना आपको अपनी मुराद पाने में मदद करेगा।
आप आसानी से शादीशुदा और ख़ुशहाल बन सकते हैं। अगर आप अपनी माइन्ड पॉवर को समझ लें और इसका सही तरीक़े से इस्तेमाल करें तो यह आपको ज़िन्दगी में हर चीज़ दे सकता है।
कुछ भी शुरू करने से पहले आपको ख़ुद को खोलना पड़ेगा और देखना होगा कि आपके माइन्ड में कितनी ज़्यादा पॉवर है? अपने माइन्ड की दुनिया को देखने के लिए वह सब बार बार पढ़ना होगा जो कि इस सब्जेक्ट के स्कॉलर्स ने लिखा है। जिन लोगों के लिए यह सब्जेक्ट नया है, उनके लिए बहुत आसान अन्दाज़ में चेतन मन और अवचेतन मन पर कुछ ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जिसे वे फ़ौरन ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन्सान का माइन्ड सबसे बड़ा राज़ है। हज़ारों साल से इसकी स्टडी के बाद भी ऐसा ही लगता है जैसे कि अभी इसे जानना शुरू ही किया है। वेलनेस साईन्सेज़ के स्कॉलर्स ने इसके तीन पहलुओं का बयान किया है।

1. चेतन मन
2. अवचेतन मन
3. सुपरचेतन मन

1- चेतन मन (conscious mind)
कॉन्शियस माइन्ड इन्सान के माइन्ड का वह पहलू है जो लॉजिक और रीज़निंग के साथ करता है। जब आप सोचते हैं कि दो और दो कितने होते हैं? तब इस सवाल का जवाब देने का काम कॉन्शियस माइन्ड करता है। जब आप होश के साथ किसी काम की नीयत करते हैं तब भी कॉन्शियस माइन्ड काम करता है जैसे कि आप अपनी मर्ज़ी से अपने हाथ से कोई चीज़ पकड़ते हैं या किसी दिशा में क़दम बढ़ाते हैं।
जब आप होश के साथ कोई काम करते हैं तो आप जान सकते हैं कि आप इसे अपने कॉन्शियस माइन्ड से कर रहे हैं। जैसे कि आप इस वक़्त पानी पी रहे हैं और आप एक घूंट पीने का इरादा करते हैं तो आपका कॉन्शियस माइन्ड काम कर रहा है क्योंकि जब आप पानी पी रहे थे तो पूरी तरह उस काम के प्रति कॉन्शियस थे।
कॉन्शियस माइन्ड एक गेट कीपर के रूप में भी काम करता है। अगर कोई आपके सामने कोई ऐसा विचार पेश करता है जो आपके पुराने बिलीफ़ से मेल नहीं खाता तो तो आपका कॉन्शियस माइन्ड उसे पहचान कर रद्द कर देगा।
जैसे कि आपके अन्दर यह बिलीफ़ मौजूद हो कि आप दुखी और मज़्लूम हैं। आप लोगों के, ज़माने के सताए हुए हैं। आप अपने हालात के सामने लाचार हैं। आपकी तक़दीर ही ख़राब है। इस ज़माने में बेईमान लोग ही तरक़्क़ी कर रहे हैं। शरीफ़ लोगों की कोई क़द्र नहीं करता। 
ऐसे में अगर कोई आपको यह बताए कि आप मज़्लूम नहीं हैं बल्कि अपने पास माइन्ड जैसी नेमतों के नाक़द्रे और नाशुक्रे हैं। आज भी शरीफ़ लोगों की बड़ी क़द्र है। ईमानदारी के साथ भी तरक़्क़ी की जा सकती है। आप लोगों के सताए हुए नहीं हैं बल्कि अपने नज़रिए की तंगी और अपनी ताक़त से जाहिल रहने की वजह से दुख पा रहे हैं। आप के अन्दर अपने हालात बदलने की ताक़त मौजूद है।....तो आपका कॉन्शियस माइन्ड फ़ौरन इस विचार को पकड़ लेगा और इसे सब्कॉन्शियस माइन्ड में दाखि़ल नहीं होने देगा।
कॉन्शिय माइन्ड पानी के ज़हाज के कप्तान की तरह है, जो कि हर बात पर होशमन्दी के साथ विचार के एक फ़ैसला लेता है और फिर अपने मातहत काम करने वाली टीम को हुक्म देता है।

2- अवचेतन मन (subconscious mind)
अवचेतन मन उस पानी के जहाज़ पर काम करने वाली उस टीम की तरह काम करता है जो कि अपने कप्तान का हुक्म मानती है। सब्कॉन्शियस माइन्ड कॉन्शियस माइन्ड का हुक्म मानता है।
आपका सब्कॉन्शियस माइन्ड आपके कॉन्शियस माइन्ड के लिए एक ट्रांसलेटर की तरह काम करता है। कॉन्शियस माइन्ड इसे हुक्म देता है और यह उस हुक्म को बड़ी आसानी से पूरा कर देता है।
कॉन्शियस माइन्ड आपके सारे अनैच्छिक कार्यों को अन्जाम देता है। आपके दिल की धड़कनों को और सांस लेने को सब्कॉन्शियस माइन्ड ही कन्ट्रोल करता है। अगर आप अपने इरादे से सांस लेने और छोड़ने को कन्ट्रोल करना चाहें तो आपका जब तक आप अपने सांस पर ध्यान रेखेंगे तब तक आपका कॉन्शियस माइन्ड यह काम करता रहेगा और जैसे ही आपका ध्यान अपने सांस से हटेगा वैसे ही आपका सब्कॉन्शियस माइन्ड आपके सांस की ज़िम्मेदारी संभाल लेगा।
आपके जज़्बात भी आपका सब्कॉन्शियस माइन्ड ही कन्ट्रोल करता है। इसी वजह से कई बार आप न चाहते हुए भी डर, ग़म और ग़ुस्से को महसूस करते हैं।
आपके विश्वास और आपकी यादें भी सब्कॉन्शियस माइन्ड में जमा रहती हैं। इसी वजह से स्वीकार कथन (affirmations) आपके बिलीफ़ को बदलने में नाकाम रहते हैं। स्वीकार कथन (affirmations) कॉन्शियस लेवल पर कहे जाते हैं और जब वे बिलीफ़ सिस्टम से मेल नहीं खाते तो वे सब्कॉन्शियस माइन्ड में जा ही नहीं पाते।
किसी पुराने तंग विश्वास को बदलने का असरदार तरीक़ा यह है कि कॉन्शियस माइन्ड को तर्क के साथ सन्तुष्ट कर दिया जाए।
हमने तारा से कहा कि वह अपने ख़ानदान में देखे कि उसकी मां, ख़ाला, चाची और उनकी उम्र की सभी औरतों की शादी हुई है। जब उनकी शादी नहीं हुई थी तो उनके लिए भी रिश्ते आ रहे थे और बात बन नहीं रही थी। ज़्यादातर के साथ यही होता है। जब यह सब हो रहा होता है तो वे अपने रिश्ते को लेकर फ़िक्रमन्द होती हैं। फिर एक रिश्ता ऐसा भी आता है कि उस पर ज़िम्मेदार लोगों की राय बन जाती है और लड़की का रिश्ता तय हो जाता है। आपके साथ भी ठीक वही हो रहा है जो कि रिश्ता होने की प्रोसेस में ज़्यादातर के साथ होता है। यह सब नेचुरल प्रोसेस देखकर आपका यह बिलीफ़ बना लेना कि आपका रिश्ता होने में मुश्किल आ रही है, एक ग़लत काम है। आप इसे फ़ौरन छोड़ दें और यह यक़ीन करें कि रिश्ते की प्रोसेस ऐसे ही आगे बढ़ती है। मेरा रिश्ता होने का काम लगातार आगे बढ़ रहा है और जल्दी ही मेरा रिश्ता होने वाला है।
जब लॉजिक और मिसालों के ज़रिये यह बात बार बार तारा को बताई गई तो उसे यक़ीन आ गया।

3- सुपर-कॉन्शियस माइन्ड (superconscious mind)
वेलनेस साईन्सेज़ के स्कॉलर्स के मुताबिक़ सुपर-कॉन्शियस माइन्ड अनन्त पोटेन्शियल का एक ऐसा मैदान है, जिसकी कोई हद नहीं है। यह अपने अन्दर बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी हरेक सम्भावना रखता है। यह फ़िज़िकल और नॉन फ़िज़िकल, सब चीज़ों को अपने अन्दर समाए हुए है।
इस ‘अनन्त पोटेन्शियल के मैदान’ में हर वह चीज़ मौजूद है, जो गुज़र चुकी है या अब मौजूद है या भविष्य में हो सकती है। इसमें हर बात एक सम्भावना के रूप में पहले से ही मौजूद है। साइन्टिफ़िक कम्युनिटी इसे ‘यूनीफ़ाइड फ़ील्ड’ कहती है। सुपर-कॉन्शियस माइन्ड वह फ़ील्ड है, जिसमें हर चीज़ एक एनर्जी के रूप में वहदत (एकत्व) के साथ मौजूद है। यही वह एनर्जी है जो कि किसी भी चीज़ के बनने के लिए बुनियादी ज़रूरत है। आप और हरेक इन्सान और हरेक चीज़ इस सुपर-कॉन्शियस माइन्ड में आपस में जुड़े हुए हैं।
एक इन्सान का माइन्ड जिस बात की साफ़ कल्पना कर सकता है, उस पर नीयत के साथ ध्यान केन्द्रित कर सकता है और वह उसके तालमेल में अमल कर सकता है, वह बात ज़रूर भौतिक जगत में प्रकट होगी, चाहे वह जो भी हो। कॉन्शियस माइन्ड में जो भी अवधारणा बनाई जा सकती है, वह सुपर-कॉन्शियस माइन्ड में पहले से ही मौजूद होती है। उसे भौतिक जगत का सत्य बनाने के लिए सिर्फ़ होश के साथ लगातार ध्यान की ज़रूरत होती है, चाहे यह ध्यान अकेले दिया जाए या फिर एक टीम के साथ।
सुपर-कॉन्शियस माइन्ड अपने अन्दर वे तमाम जज़्बात और एहसास भी रखता है जो कि माइन्ड महसूस कर सकता है जैसे कि मुहब्बत, ख़ुशी, रहम, सब्र, शुक्र से लेकर नफ़रत, ग़म, बेरहमी, ग़ुस्सा, लालच और शक वग़ैरह तक सब। जिस जज़्बे और एहसास को आप लगातार ध्यान देते और महसूस करते हैं, वह आपकी ज़िन्दगी में अपने मुताबिक़ हालतें बनाकर ज़ाहिर हो जाते हैं।
आप व्यक्तिगत रूप से जो भी सोचते, महसूस करते और अमल करते हैं, वह आपका चुनाव होता है, उसी से यह तय होता है कि आप सुपर-कॉन्शियस माइन्ड से अपनी ज़िन्दगी में अपनी ज़िन्दगी में क्या पाने का चुनाव कर रहे हैं। 
आप अपने कपड़ों को देखिए, जिन्हें आप पहने हुए हैं। ये कपड़े कहां से आए? ये कहां से आए? ये फ़ैक्टी से आए, सही? कपड़ों के ये धागे कहां से आए और वे ईंटे और पत्थर कहां से आए, जिनसे फ़ैक्टी बनी? वे सब मशीनें कहां से आईं, जिनसे कपड़े तैयार हुए?
आज आप इन सबको अपनी आंखों से देख रहे हैं लेकिन ये सब नहीं बने थे और किसी ने इनकी कल्पना तक नहीं की थी, ये सब तब भी कहीं मौजूद थे।
जिस अविष्कारक ने जिस चीज़ का अविष्कार किया, पहले उसके माइन्ड में एक कल्पना आई। उसके बाद उसने उसे साकार करने के लिए मुनासिब काम किए। आखि़रकार उसकी कल्पना साकार हो गई। सायकिल से लेकर ट्रेन और हवाई जहाज़ तक सब इसी तरीक़े से बने हैं। जब इन अविष्कारों की कल्पना भी किसी के मन में नहीं आई थी, ये सब तब भी किसी न किसी शक्ल में एक जगह मौजूद थे। उसी मक़ाम का नाम ‘सुपर-कॉन्शियस माइन्ड’ है।
अपने विकास के लिए अपनी बुनियादी ज़रूरत की जो भी चीज़ आप पाना चाहते हैं, वह इस वक़्त भी सुपर-कॉन्शियस माइन्ड में मौजूद है। जब आप उसकी बिल्कुल साफ़ कल्पना करते हैं, उसे लगातार ध्यान देते हैं, उसे अपने दिल में इस तरह देखते हैं कि वह आपको नेचुरल और रियल लगती है और आपके दिल में ख़़ुशी के एहसास जाग उठते हैं, तब आपको माफ़िक़ लोग, हालात और वाक़यात ख़ुद पेश हैं और आपको अपने अन्दर ही ऐसे कामों की प्रेरणा मिलती है जिन्हें आप करते हैं तो आपकी कल्पना साकार हो जाती है। वह कल्पना जिसे पहले सिर्फ़ आप देखते और ख़ुश होते थे, उसे अब सब देख सकते हैं।
तारा की ग़लती यह थी कि वह अपनी प्रॉब्लम पर लगातार ध्यान जमाए हुए थी। जब आप अपनी प्रॉब्लम पर ध्यान जमाते हैं तो वह और ज़्यादा महसूस होती है। आप उसे हल करने से चूक जाते हैं और प्रॉब्लम बढ़ती हुई दिखती है।
तारा को ज़रूरत थी अपनी प्रॉब्लम के हल पर ध्यान जमाने की और ख़ुशी का एहसास जगाने की ताकि उसके सब्कॉन्शियस माइन्ड में उसकी पसन्द की हालत अच्छी तरह नक़्श हो जाए।
कॉन्शियस माइन्ड को लगभग सुला दिया जाए तो यह काम ज़्यादा आसानी से हो जाता है, जैसा कि रोज़ नींद में जाने से पहले कुछ मिनट ऐसे होते हैं, जिनमें कॉन्शियस माइन्ड सोने लगता है। ऐसे में आप अपने सब्कॉन्शियस माइन्ड में नया विचार दे सकते हैं। सुबह को जागने के फ़ौरन बाद भी सब्कॉन्शियस माइन्ड बहुत आसानी से एक सीन के रूप में आपका मैसेज रिसीव कर लेता है। रात को और सुबह के वक़्त, रोज़ यह अमल दोहराने से नया विचार आपका बिलीफ़ बन जाएगा। यह नया बिलीफ़ आपके पुराने बिलीफ़ को बदल देगा।
इसके लिए आपको क्रिस्टल की तरह एक साफ़ इमेज की ज़रूरत होती है। यह एक छोटा सा सीन हो तो ज़्यादा आसानी से काम करता है।

अब तारा को ज़रूरत थी क्रिस्टल की तरह साफ़ एक सीन की, जिसे वह अपने दिल में देख सके, जो उसकी ज़रूरत को पूरा करता हो और उसे ख़ुशी दे सके।
यह तरीक़ा तब कई गुना ज़्यादा पॉवरफ़ुल हो जाता है, जब उस सीन का चुनाव उस किताब से किया जाता है, जिसमें वह बचपन से यक़ीन रखता हो। तारा पवित्र क़ुरआन में यक़ीन रखती है। यह देखकर हमने उसे यासीन की चार आयतों को, 55 से 58 तक तसव्वुर और एहसास के साथ पढ़ने के लिए कहा।
इन चार आयतों में एक प्यार भरे जोड़े का बहुत दिलकश और क्रिस्टल क्लियर  बयान है, जोकि बहुत मुख़्तसर भी है।
इससे मनोदशा बदल जाती है। माइन्ड प्रॉब्लम से हटकर उसके सॉल्यूशन पर फ़ोकस हो जाता है। जिससे नई हालत बनने के असबाब ज़ाहिर होने लगते हैं।


बाक़ी राज़ हम आगे के आर्टिकल्स में बताते रहेंगे।



presentation: Tabassum Jamal (CEO)

Paradigm Marriage counselling & Beauty Center

पूरा तरीक़ा एक साथ जानने के लिए 
Contact karen: Mobile No. +919760695571, 9634249150
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