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Tuesday, 25 April 2017

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 5

रिश्तों में रूकावटें आने और शादी न होने की वजहें हमने पहले आर्टिकल में बताई हैं। जिन्हें आप इस लिंक पर देख सकते हैं- 

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 1

और

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 2


और 

Marriage Counselling: achche rishte aur achchi shadi ke liye Article 3



अब देखें इस सीरीज़ का नया लेख-

रिश्ते और शादी के लिए अपनी माइंड पॉवर का इस्तेमाल कैसे करें ?
आपको अपनी शादी जैसी नेचुरल और बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है तो सिर्फ़ इसलिए कि आप ज़िन्दगी के क़ानून से नावाक़िफ़ हैं। आप इस बात को महसूस नहीं करते, लेकिन आपका माइन्ड बहुत ज़्यादा पॉवरफ़ुल है। इसमें अनन्त पोटेन्शियल  है। आप अपने ‘यक़ीन’ से कुछ भी क्रिएट कर सकते हैं।

ज़िन्दगी का क़ानून यक़ीन का क़ानून है।

जब आप आपनी माइन्ड पॉवर को समझ लेते हैं और यूनिवर्स के लॉ को अपनी भलाई में इस्तेमाल करना सीख लेते हैं तो आप अपने अवचेतन मन को रिप्रोग्राम कर सकते हैं जिससे कि आप अपनी ज़िन्दगी में अपनी पसन्द की चीज़ें पा सकते हैं और अपनी ज़िन्दगी मज़े से जी सकते हैं। आपको किसी चीज़ को पाने के लिए अपनी ज़िन्दगी में बेनतीजा संघर्ष करने की ज़रूरत नहीं है । ज़िन्दगी के पास आपके लिए एक मक़सद है और अगर आप अपने माइन्ड को सही दिशा में प्रोग्राम करें तो यह आपको ख़ुशहाली दे सकती है। इसके लिए आपको इस किताब के क़ानूनों को अमल में लाना होगा। आपके माइन्ड की नई प्रोग्रामिंग आपकी ज़िन्दगी को बदल देगी।

इसके लिए आपको बस आपको यह समझना होगा और कि यह सिस्टम कैसे काम करता है?
आपके माइन्ड के पास बहुत ज़्यादा शक्ति है। इसमें यह ख़ूबी है कि यह हरेक बीमारी ठीक कर सकता है लेकिन एक औसत आदमी अपने माइन्ड का सिर्फ़ दस परसेन्ट ही इस्तेमाल करता है और नब्बे परसेन्ट इस्तेमाल ही नहीं हो पाता।
सोचो कि अगर हम अपने माइन्ड की पूरी शक्ति को इस्तेमाल कर पाएं तो हमारा माइन्ड क्या नहीं कर सकता?
इस प्लेनेट पर हर इन्सान के पास एक जैसी शक्ति है लेकिन वे सब अपनी भलाई में इसका इस्तेमाल करना नहीं जानते। अगर हम चन्द लोगों को इकठ्ठा करें और उनकी माइन्ड पॉवर को पूरा इस्तेमाल करें तो हम एक शहर को एक सप्ताह तक बिजिली दे सकते हैं। इससे पता चलता है कि हमारा माइन्ड कितना शक्तिशाली है।
जिस वजह से हम दूसरों से अलग दिखते हैं, वह हमारा चुनाव और हमारा यक़ीन होता है जो कि हममें पहले ही प्रोग्राम किए जा चुका होता है।
जब हम मां  की कोख में होते हैं, तब से अब तक हमारे अन्दर जिस ख़ास  नज़रिए की प्रोगग्रामिंग की जाती है उससे हमें एक शेप मिलती है और हमें पता चलता है कि हम कौन हैं और हम क्या कर सकते हैं?
हममें अदभुत काम करने की शक्ति है लेकिन यह हमारा यक़ीन और ईमान होता है जिससे कि हम कुछ काम कर सकते हैं और कुछ काम नहीं कर सकते हैं।
हमारा नज़रिया या बिलीफ़ सिस्टम या प्रोग्रामिंग ही हमें दूसरों से अलग बनाता है। इस प्लेनेट पर हर इन्सान के पास उसका बिलीफ़ सिस्टम होता है जो कि उसके सोचने को, रीज़निंग को और कामों को गाइड करता है।
ये लोग कुछ भी करें, चाहे ये खेलकूद में भाग लें या व्यापार करें या ज़िन्दगी भर स्टडी करते रहें लेकिन इनकी शुरूआत एक ही होती है। वे जहां भी पहुंचते हैं अपनी माइन्ड पॉवर की वजह से पहुंचते हैं और वे उसका इस्तेमाल करके अपने मक़ाम पर पहुंचते है।
आप में यह शक्ति है कि आप कुछ भी कर सकते हैं जो भी आप करना चाहें। अगर आप माइन्ड प्रोग्रामिंग की सारी शर्तों को पूरा कर सकें तो आप अपने माइन्ड को ग्रेटेस्ट डिग्री पर इस्तेमाल कर पाएंगे।
सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि आप सचमुच चाहते क्या हैं?
दूसरा स्टेप यह है कि आप अपनी पसन्द की चीज़ अपने पास देखें। आप सुबह या रात को सोते वक़्त अपने माइन्ड को सुकून की हालत में लाएं। जो चीज़ आप पाना चाहते हैं, आप उस चीज़ के साथ ख़ुद को इस तरह विज़ुअलाईज़ करें कि वह सीन आपको सच महसूस हो और आपके अन्दर ख़ुशी का वैसा ही एहसास जाग उठे जैसा कि वह चीज़ मिलने पर आपके अन्दर सचमुच जागेगा। सुकून की हालत में बार बार यह सीन देखने और ख़ुशी महसूस करने से आप अपने अवचेतन मन तक अपना मैसेज भेज देते हैं। आपने अपना काम पूरा कर दिया।
अब तीसरा स्टेप है। जिसमें आपके मन की मुराद आपकी ज़िन्दगी में प्रकट होती है। यह सबसे अहम स्टेप है। इसे सबसे ज़्यादा तवज्जो देने की ज़रूरत है क्योंकि इसे सबसे कम समझा जाता है। इसी वजह से अक्सर लोग अपनी पसन्द की चीज़ पाने से महरूम रहते हैं।


ख़ूब अच्छी तरह जान लें कि जो मैसेज आज आप अपने सबकॉन्शियस माइन्ड को भेज रहे हैं, उसका मैटेरियलाईज़ेशन आपकी पहले हो चुकी माइन्ड प्रोग्रामिंग पर निर्भर है-आपके बिलीफ़ सिस्टम पर।
अगर आपके पुराने बिलीफ़ आपको इस सिचुएशन पर आने में सपोर्ट करते हैं तो आप आ सकते हैं। लेकिन अगर आपके बिलीफ़ आपको सपोर्ट नहीं देते तो आपके अन्दर उस चीज़ के ज़ाहिर होने के बारे में शक पैदा हो जाता है। यह शक आपकी मुराद पूरी होने को रोक देता है। आपकी ज़िन्दगी में वह चीज़ ज़ाहिर नहीं हो सकती। आपके पुराने बिलीफ़ ही आपके विकास और ख़ुशहाली को सीमित करते हैं। आप अपने ही नज़रिए की तंगी की वजह से ज़िन्दगी में नाकामी और तनाव के शिकार हैं।


इसी वजह से कामयाबी के लिए अवचेतन मन को रिप्रोग्राम करना बहुत ज़रूरी है। यह एक ऐसा मेकेनिज़्म है, जिससे आपके पुराने विचार बदल दिए जाते हैं ताकि आपको नए बिलीफ़्स मिल सकें, जो आपको सपोर्ट करते हों। कुछ स्टडीज़ ने दिखाया है कि लोग कैसे बड़े बड़े काम अपनी माइन्ड पॉवर से करते हैं। इस पॉवर के बारे में जानना और इसे अपनी भलाई में इस्तेमाल करना आपको अपनी मुराद पाने में मदद करेगा।
आप आसानी से शादीशुदा और ख़ुशहाल बन सकते हैं। अगर आप अपनी माइन्ड पॉवर को समझ लें और इसका सही तरीक़े से इस्तेमाल करें तो यह आपको ज़िन्दगी में हर चीज़ दे सकता है।
कुछ भी शुरू करने से पहले आपको ख़ुद को खोलना पड़ेगा और देखना होगा कि आपके माइन्ड में कितनी ज़्यादा पॉवर है? अपने माइन्ड की दुनिया को देखने के लिए वह सब बार बार पढ़ना होगा जो कि इस सब्जेक्ट के स्कॉलर्स ने लिखा है। जिन लोगों के लिए यह सब्जेक्ट नया है, उनके लिए बहुत आसान अन्दाज़ में चेतन मन और अवचेतन मन पर कुछ ऐसी जानकारी दे रहे हैं, जिसे वे फ़ौरन ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
इन्सान का माइन्ड सबसे बड़ा राज़ है। हज़ारों साल से इसकी स्टडी के बाद भी ऐसा ही लगता है जैसे कि अभी इसे जानना शुरू ही किया है। वेलनेस साईन्सेज़ के स्कॉलर्स ने इसके तीन पहलुओं का बयान किया है।

1. चेतन मन
2. अवचेतन मन
3. सुपरचेतन मन

1- चेतन मन (conscious mind)
कॉन्शियस माइन्ड इन्सान के माइन्ड का वह पहलू है जो लॉजिक और रीज़निंग के साथ करता है। जब आप सोचते हैं कि दो और दो कितने होते हैं? तब इस सवाल का जवाब देने का काम कॉन्शियस माइन्ड करता है। जब आप होश के साथ किसी काम की नीयत करते हैं तब भी कॉन्शियस माइन्ड काम करता है जैसे कि आप अपनी मर्ज़ी से अपने हाथ से कोई चीज़ पकड़ते हैं या किसी दिशा में क़दम बढ़ाते हैं।
जब आप होश के साथ कोई काम करते हैं तो आप जान सकते हैं कि आप इसे अपने कॉन्शियस माइन्ड से कर रहे हैं। जैसे कि आप इस वक़्त पानी पी रहे हैं और आप एक घूंट पीने का इरादा करते हैं तो आपका कॉन्शियस माइन्ड काम कर रहा है क्योंकि जब आप पानी पी रहे थे तो पूरी तरह उस काम के प्रति कॉन्शियस थे।
कॉन्शियस माइन्ड एक गेट कीपर के रूप में भी काम करता है। अगर कोई आपके सामने कोई ऐसा विचार पेश करता है जो आपके पुराने बिलीफ़ से मेल नहीं खाता तो तो आपका कॉन्शियस माइन्ड उसे पहचान कर रद्द कर देगा।
जैसे कि आपके अन्दर यह बिलीफ़ मौजूद हो कि आप दुखी और मज़्लूम हैं। आप लोगों के, ज़माने के सताए हुए हैं। आप अपने हालात के सामने लाचार हैं। आपकी तक़दीर ही ख़राब है। इस ज़माने में बेईमान लोग ही तरक़्क़ी कर रहे हैं। शरीफ़ लोगों की कोई क़द्र नहीं करता। 
ऐसे में अगर कोई आपको यह बताए कि आप मज़्लूम नहीं हैं बल्कि अपने पास माइन्ड जैसी नेमतों के नाक़द्रे और नाशुक्रे हैं। आज भी शरीफ़ लोगों की बड़ी क़द्र है। ईमानदारी के साथ भी तरक़्क़ी की जा सकती है। आप लोगों के सताए हुए नहीं हैं बल्कि अपने नज़रिए की तंगी और अपनी ताक़त से जाहिल रहने की वजह से दुख पा रहे हैं। आप के अन्दर अपने हालात बदलने की ताक़त मौजूद है।....तो आपका कॉन्शियस माइन्ड फ़ौरन इस विचार को पकड़ लेगा और इसे सब्कॉन्शियस माइन्ड में दाखि़ल नहीं होने देगा।
कॉन्शिय माइन्ड पानी के ज़हाज के कप्तान की तरह है, जो कि हर बात पर होशमन्दी के साथ विचार के एक फ़ैसला लेता है और फिर अपने मातहत काम करने वाली टीम को हुक्म देता है।

2- अवचेतन मन (subconscious mind)
अवचेतन मन उस पानी के जहाज़ पर काम करने वाली उस टीम की तरह काम करता है जो कि अपने कप्तान का हुक्म मानती है। सब्कॉन्शियस माइन्ड कॉन्शियस माइन्ड का हुक्म मानता है।
आपका सब्कॉन्शियस माइन्ड आपके कॉन्शियस माइन्ड के लिए एक ट्रांसलेटर की तरह काम करता है। कॉन्शियस माइन्ड इसे हुक्म देता है और यह उस हुक्म को बड़ी आसानी से पूरा कर देता है।
कॉन्शियस माइन्ड आपके सारे अनैच्छिक कार्यों को अन्जाम देता है। आपके दिल की धड़कनों को और सांस लेने को सब्कॉन्शियस माइन्ड ही कन्ट्रोल करता है। अगर आप अपने इरादे से सांस लेने और छोड़ने को कन्ट्रोल करना चाहें तो आपका जब तक आप अपने सांस पर ध्यान रेखेंगे तब तक आपका कॉन्शियस माइन्ड यह काम करता रहेगा और जैसे ही आपका ध्यान अपने सांस से हटेगा वैसे ही आपका सब्कॉन्शियस माइन्ड आपके सांस की ज़िम्मेदारी संभाल लेगा।
आपके जज़्बात भी आपका सब्कॉन्शियस माइन्ड ही कन्ट्रोल करता है। इसी वजह से कई बार आप न चाहते हुए भी डर, ग़म और ग़ुस्से को महसूस करते हैं।
आपके विश्वास और आपकी यादें भी सब्कॉन्शियस माइन्ड में जमा रहती हैं। इसी वजह से स्वीकार कथन (affirmations) आपके बिलीफ़ को बदलने में नाकाम रहते हैं। स्वीकार कथन (affirmations) कॉन्शियस लेवल पर कहे जाते हैं और जब वे बिलीफ़ सिस्टम से मेल नहीं खाते तो वे सब्कॉन्शियस माइन्ड में जा ही नहीं पाते।
किसी पुराने तंग विश्वास को बदलने का असरदार तरीक़ा यह है कि कॉन्शियस माइन्ड को तर्क के साथ सन्तुष्ट कर दिया जाए।
हमने तारा से कहा कि वह अपने ख़ानदान में देखे कि उसकी मां, ख़ाला, चाची और उनकी उम्र की सभी औरतों की शादी हुई है। जब उनकी शादी नहीं हुई थी तो उनके लिए भी रिश्ते आ रहे थे और बात बन नहीं रही थी। ज़्यादातर के साथ यही होता है। जब यह सब हो रहा होता है तो वे अपने रिश्ते को लेकर फ़िक्रमन्द होती हैं। फिर एक रिश्ता ऐसा भी आता है कि उस पर ज़िम्मेदार लोगों की राय बन जाती है और लड़की का रिश्ता तय हो जाता है। आपके साथ भी ठीक वही हो रहा है जो कि रिश्ता होने की प्रोसेस में ज़्यादातर के साथ होता है। यह सब नेचुरल प्रोसेस देखकर आपका यह बिलीफ़ बना लेना कि आपका रिश्ता होने में मुश्किल आ रही है, एक ग़लत काम है। आप इसे फ़ौरन छोड़ दें और यह यक़ीन करें कि रिश्ते की प्रोसेस ऐसे ही आगे बढ़ती है। मेरा रिश्ता होने का काम लगातार आगे बढ़ रहा है और जल्दी ही मेरा रिश्ता होने वाला है।
जब लॉजिक और मिसालों के ज़रिये यह बात बार बार तारा को बताई गई तो उसे यक़ीन आ गया।

3- सुपर-कॉन्शियस माइन्ड (superconscious mind)
वेलनेस साईन्सेज़ के स्कॉलर्स के मुताबिक़ सुपर-कॉन्शियस माइन्ड अनन्त पोटेन्शियल का एक ऐसा मैदान है, जिसकी कोई हद नहीं है। यह अपने अन्दर बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी हरेक सम्भावना रखता है। यह फ़िज़िकल और नॉन फ़िज़िकल, सब चीज़ों को अपने अन्दर समाए हुए है।
इस ‘अनन्त पोटेन्शियल के मैदान’ में हर वह चीज़ मौजूद है, जो गुज़र चुकी है या अब मौजूद है या भविष्य में हो सकती है। इसमें हर बात एक सम्भावना के रूप में पहले से ही मौजूद है। साइन्टिफ़िक कम्युनिटी इसे ‘यूनीफ़ाइड फ़ील्ड’ कहती है। सुपर-कॉन्शियस माइन्ड वह फ़ील्ड है, जिसमें हर चीज़ एक एनर्जी के रूप में वहदत (एकत्व) के साथ मौजूद है। यही वह एनर्जी है जो कि किसी भी चीज़ के बनने के लिए बुनियादी ज़रूरत है। आप और हरेक इन्सान और हरेक चीज़ इस सुपर-कॉन्शियस माइन्ड में आपस में जुड़े हुए हैं।
एक इन्सान का माइन्ड जिस बात की साफ़ कल्पना कर सकता है, उस पर नीयत के साथ ध्यान केन्द्रित कर सकता है और वह उसके तालमेल में अमल कर सकता है, वह बात ज़रूर भौतिक जगत में प्रकट होगी, चाहे वह जो भी हो। कॉन्शियस माइन्ड में जो भी अवधारणा बनाई जा सकती है, वह सुपर-कॉन्शियस माइन्ड में पहले से ही मौजूद होती है। उसे भौतिक जगत का सत्य बनाने के लिए सिर्फ़ होश के साथ लगातार ध्यान की ज़रूरत होती है, चाहे यह ध्यान अकेले दिया जाए या फिर एक टीम के साथ।
सुपर-कॉन्शियस माइन्ड अपने अन्दर वे तमाम जज़्बात और एहसास भी रखता है जो कि माइन्ड महसूस कर सकता है जैसे कि मुहब्बत, ख़ुशी, रहम, सब्र, शुक्र से लेकर नफ़रत, ग़म, बेरहमी, ग़ुस्सा, लालच और शक वग़ैरह तक सब। जिस जज़्बे और एहसास को आप लगातार ध्यान देते और महसूस करते हैं, वह आपकी ज़िन्दगी में अपने मुताबिक़ हालतें बनाकर ज़ाहिर हो जाते हैं।
आप व्यक्तिगत रूप से जो भी सोचते, महसूस करते और अमल करते हैं, वह आपका चुनाव होता है, उसी से यह तय होता है कि आप सुपर-कॉन्शियस माइन्ड से अपनी ज़िन्दगी में अपनी ज़िन्दगी में क्या पाने का चुनाव कर रहे हैं। 
आप अपने कपड़ों को देखिए, जिन्हें आप पहने हुए हैं। ये कपड़े कहां से आए? ये कहां से आए? ये फ़ैक्टी से आए, सही? कपड़ों के ये धागे कहां से आए और वे ईंटे और पत्थर कहां से आए, जिनसे फ़ैक्टी बनी? वे सब मशीनें कहां से आईं, जिनसे कपड़े तैयार हुए?
आज आप इन सबको अपनी आंखों से देख रहे हैं लेकिन ये सब नहीं बने थे और किसी ने इनकी कल्पना तक नहीं की थी, ये सब तब भी कहीं मौजूद थे।
जिस अविष्कारक ने जिस चीज़ का अविष्कार किया, पहले उसके माइन्ड में एक कल्पना आई। उसके बाद उसने उसे साकार करने के लिए मुनासिब काम किए। आखि़रकार उसकी कल्पना साकार हो गई। सायकिल से लेकर ट्रेन और हवाई जहाज़ तक सब इसी तरीक़े से बने हैं। जब इन अविष्कारों की कल्पना भी किसी के मन में नहीं आई थी, ये सब तब भी किसी न किसी शक्ल में एक जगह मौजूद थे। उसी मक़ाम का नाम ‘सुपर-कॉन्शियस माइन्ड’ है।
अपने विकास के लिए अपनी बुनियादी ज़रूरत की जो भी चीज़ आप पाना चाहते हैं, वह इस वक़्त भी सुपर-कॉन्शियस माइन्ड में मौजूद है। जब आप उसकी बिल्कुल साफ़ कल्पना करते हैं, उसे लगातार ध्यान देते हैं, उसे अपने दिल में इस तरह देखते हैं कि वह आपको नेचुरल और रियल लगती है और आपके दिल में ख़़ुशी के एहसास जाग उठते हैं, तब आपको माफ़िक़ लोग, हालात और वाक़यात ख़ुद पेश हैं और आपको अपने अन्दर ही ऐसे कामों की प्रेरणा मिलती है जिन्हें आप करते हैं तो आपकी कल्पना साकार हो जाती है। वह कल्पना जिसे पहले सिर्फ़ आप देखते और ख़ुश होते थे, उसे अब सब देख सकते हैं।
तारा की ग़लती यह थी कि वह अपनी प्रॉब्लम पर लगातार ध्यान जमाए हुए थी। जब आप अपनी प्रॉब्लम पर ध्यान जमाते हैं तो वह और ज़्यादा महसूस होती है। आप उसे हल करने से चूक जाते हैं और प्रॉब्लम बढ़ती हुई दिखती है।
तारा को ज़रूरत थी अपनी प्रॉब्लम के हल पर ध्यान जमाने की और ख़ुशी का एहसास जगाने की ताकि उसके सब्कॉन्शियस माइन्ड में उसकी पसन्द की हालत अच्छी तरह नक़्श हो जाए।
कॉन्शियस माइन्ड को लगभग सुला दिया जाए तो यह काम ज़्यादा आसानी से हो जाता है, जैसा कि रोज़ नींद में जाने से पहले कुछ मिनट ऐसे होते हैं, जिनमें कॉन्शियस माइन्ड सोने लगता है। ऐसे में आप अपने सब्कॉन्शियस माइन्ड में नया विचार दे सकते हैं। सुबह को जागने के फ़ौरन बाद भी सब्कॉन्शियस माइन्ड बहुत आसानी से एक सीन के रूप में आपका मैसेज रिसीव कर लेता है। रात को और सुबह के वक़्त, रोज़ यह अमल दोहराने से नया विचार आपका बिलीफ़ बन जाएगा। यह नया बिलीफ़ आपके पुराने बिलीफ़ को बदल देगा।
इसके लिए आपको क्रिस्टल की तरह एक साफ़ इमेज की ज़रूरत होती है। यह एक छोटा सा सीन हो तो ज़्यादा आसानी से काम करता है।

अब तारा को ज़रूरत थी क्रिस्टल की तरह साफ़ एक सीन की, जिसे वह अपने दिल में देख सके, जो उसकी ज़रूरत को पूरा करता हो और उसे ख़ुशी दे सके।
यह तरीक़ा तब कई गुना ज़्यादा पॉवरफ़ुल हो जाता है, जब उस सीन का चुनाव उस किताब से किया जाता है, जिसमें वह बचपन से यक़ीन रखता हो। तारा पवित्र क़ुरआन में यक़ीन रखती है। यह देखकर हमने उसे यासीन की चार आयतों को, 55 से 58 तक तसव्वुर और एहसास के साथ पढ़ने के लिए कहा।
इन चार आयतों में एक प्यार भरे जोड़े का बहुत दिलकश और क्रिस्टल क्लियर  बयान है, जोकि बहुत मुख़्तसर भी है।
इससे मनोदशा बदल जाती है। माइन्ड प्रॉब्लम से हटकर उसके सॉल्यूशन पर फ़ोकस हो जाता है। जिससे नई हालत बनने के असबाब ज़ाहिर होने लगते हैं।


बाक़ी राज़ हम आगे के आर्टिकल्स में बताते रहेंगे।



presentation: Tabassum Jamal (CEO)

Paradigm Marriage counselling & Beauty Center

पूरा तरीक़ा एक साथ जानने के लिए 
Contact karen: Mobile No. +919760695571, 9634249150
Time: 11:00 AM - 4:00 PM
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Thursday, 12 January 2017

Grateful Heart, Beautiful Life: The Law of Attraction in Hindi

कल्याण का विधि-विधान
फ़लाह का निज़ाम



अव्वल अल्लाह नूर उपाया क़ुदरत ते सब बन्दे
एक नूर ते सब जग उपज्या कौन भले कौ मन्दे
                  -गुरू नानक साहिब


दोस्तो! मैं एक वेलनेस कोच हूँ। मेरा नाम अनस ख़ान है।
मैं ‘आज’ ख़ुश हूँ क्योंकि आज आप वह महान ज्ञान सीख रहे हैं। जिसके ज़रिये आप अपनी जि़न्दगी में ख़ुशियाँ और कामयाबियाँ पा सकेंगे, अपना और दूसरों का विकास कर सकेंगे।
इस साईन्टिफि़क जानकारी का इस्तेमाल करके आप अपनी जि़न्दगी में जो काम करना चाहें, कर सकते हैं, आप जो चीज़ पाना चाहें पा सकते हैं, जो बनना चाहें बन सकते हैं।
आप तक कल्याण का यह विधि-विधान सिर्फ़ पहुँचा क्योंकि आप अपने विकास के लिए सही जानकारी और बड़े अवसर की तलाश कर रहे थे।
यह सृष्टि का नियम है कि जो तलाश करता है, वह पा लेता है।
आज क्वांटम फि़जि़क्स और न्यूरो साईन्स की ताज़ा रिसर्च हम सबके सामने हैं। जो इंसान के विचार-भावना और रहस्यमय यनिवर्सल एनर्जी के आपसी रिश्तों और उनके करिश्मों के बारे में अनोखी जानकारी दे रही हैं।
आपको मुबारक हो कि ‘अब’ आप सृष्टि के नियमों का परम गोपनीय ज्ञान पा रहे हैं।
आपके लिए तरक़्क़ी और कामयाबी के अनन्त दरवाज़े खुल रहे हैं।

ये दरवाज़े उनके लिए बन्द रहते हैं, जो पुरानी कड़वी यादों को अपने मन में ताज़ा रखते हैं। इससे उन्हें यह डर बना रहता है कि कहीं भविष्य में भी ऐसी ही बुरी घटना उनके साथ फिर से न हो जाए। इस डर से उनके मन में बुरे कल्पना-चित्र बनते रहते हैं और फिर उनके साथ बार बार वैसी ही बुरी घटनाएं होती रहती हैं, जिनसे वे डरते हैं। वे नेगेटिव एनर्जी के दुष्चक्र में घिर जाते हैं। वे नहीं जानते कि उनका डर और ग़म उनके जीवन में बुरी घटनाओं का कारण है। यहाँ कार्य-कारण का नियम (The Law of Cause & effect) काम कर रहा है।
ईश्वर अल्लाह ने यूनिवर्स में यह महान विधान आपके कल्याण के लिए निश्चित किया है। जिसे न समझने के कारण आप ख़ुद पर ख़ुद ही ज़ुल्म कर रहे हैं, ख़ुद को ख़ुद ही दुख दे रहे हैं।

कष्ट का कारण नाशुक्री है
आप नहीं जानते हैं कि आपके मन की यह शक्ति परमाणु शक्ति से भी ज़्यादा पॉवरफ़ुल है। जब यह ताक़त दुआ बनती है तो यह अर्श को भी हिला देती है। आप अपनी ‘डर और ग़म की आदत’ के कारण अपने मन की प्रचण्ड शक्ति का इस्तेमाल ख़ुद अपने ही खि़लाफ़ कर रहे हैं।
अपनी मानसिक और शारीरिक शक्तियों से अन्जान रहना या इनका ग़लत इस्तेमाल करना, इनकी नाक़द्री करना है, रब की नाशुक्री करना है।
इसी नाशुक्री की वजह से आपके जीवन में तरह तरह के दुख रूप बदल कर आते रहते हैं। आप तनाव, बीमारियाँ, एक्सीडेन्ट्स, नशे की आदत, जुआ, झगड़े, मुक़द्दमे, क़जऱ्, रूपये-पैसे की तंगी, बेरोज़गारी, व्यापार का ठप्प हो जाना, बारिश न होना, फ़सल कम होना, विवाह न होना या बेमेल विवाह हो जाना, ससुराल में अपमानित और प्रताडि़त रहना, पति या पत्नी से बेवफ़ाई का दुख, औलाद न होने या औलाद के बिगड़ जाने का दुख भोगते हैं और फिर वे निराश हो कर मर जाते हैं।
जैसा कर्म आप करते हैं, उसका फल आप ही भोगते हैं। यह सृष्टि का नियम ;न्दपअमतेंस स्ंूद्ध है।
स्वयं यजस्व स्वयं जुषस्व 
तू ही कर्म कर और तू ही उसका फल भोग। यजुर्वेद 3:15

जो आदमी आपको पुरानी बातें याद दिलाए, जिनसे आपके दिल में नफ़रत और ग़ुस्से की आग भड़के, वह आपको यहीं नर्क की आग में जला रहा है। वह आपका दुश्मन है, वह शैतान का प्यादा है। वह आपकी पॉजि़टिव एनर्जी को चूस रहा है। जीवन के प्रति आपके नज़रिए को बिगाड़ रहा है। आपका नज़रिया ही बिगड़ गया तो आपका पूरा जीवन ख़ुद ही बिगड़ता चला जाएगा। आपका नज़रिया ही आपके जीवन में साकार होता है।
इन्हें आप इनके कर्मों से पहचान सकते हैं। ये नफ़रत में जीते हैं और नफ़रत ही फैलाते हैं कि अमुक व्यक्ति, जाति या संगठन आपको भविष्य में बर्बाद कर देगा। हक़ीक़त यह है कि यह आदमी आपके दिल में डर और चिन्ता पैदा करके आपके चैन को आज और अभी बर्बाद कर रहा है। अब आप ऐसे लोगों को पहचान कर इनके कुसंग से बचें।

ज्ञान-कर्म-भक्ति
जो कल्याण का विधि-विधान नहीं जानता, वह अज्ञानी प्रेम और सेवा के बिना भक्ति, योग और इबादत करता है। उसे फल क्या मिलेगा?

अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने फ़रमाया, ‘‘कि़यामत (अर्थात् बदले) के दिन अल्लाह एक आदमी से कहेगा, ‘‘ऐ आदम के बेटे, मैं बीमार था तू मेरा हाल मालूम करने के लिए नहीं आया।’’
वह कहेगा, ‘‘ऐ मेरे रब! मैं तेरी बीमारपुर्सी को कैसे आता ? तू तो सारी दुनिया का पालनहार है (बीमार होना तो तेरी शान के खि़लाफ़ है)‘
अल्लाह कहेगा, ‘क्या तुझे नहीं पता था कि मेरा अमुक बन्दा बीमार पड़ा था ? मगर तू उसका हाल पूछने नहीं गया था।  क्या तुझे मालूम नहीं था कि अगर तू उसका हाल मालूम करने जाता तो मुझे उस (बीमार) के पास पाता ?
ऐ आदम के बेटे, मैंने तुझसे खाना माँगा, तूने मुझे नहीं खिलाया।’
बन्दा कहेगा, ‘ऐ मेरे रब! मैं तुझे कैसे खिला सकता हूँ, जबकि तू सारे जहान का पालनहार है?’
अल्लाह कहेगा, ‘तुझे पता नहीं कि मेरे अमुक बन्दे ने तुझसें खाना माँगा था, मगर  तूने उसे नहीं खिलाया, अगर तू उसे खिलाता तो उस समय मुझे उसके पास पाता।  ऐ आदम के बेटे, मैंने तुझसे पानी माँगा, तूने मुझे पानी नहीं पिलाया।’
बन्दा कहेगा, ‘ऐ मेरे रब! मैं तुझे कैसे पिला सकता हूँ? तू तो सारे जहान का पालनहार है। ‘ अल्लाह कहेगा, ‘तुझसे मेरे अमुक बन्दे ने पानी माँगा था, तूने उसे पानी नहीं पिलाया, याद रख, अगर तूने उसे पानी पिलाया होता तो मुझे उस  समय उसके पास पाता।’’ (हदीसः मुस्लिम)

मन को ग़ुलामी से आज़ाद कीजिए
मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि बचपन से ही आपके मन को जकड़ कर आपको ग़ुलाम बनाया जा चुका है। ग़ुलामी की ये बेडि़याँ आँखों से नज़र नहीं आतीं। ये बेडि़याँ संकीर्ण धारणाओं (Limiting Beliefs) की होती हैं जैसे कि

1. ज़माना ख़राब है।  
2. जीवन एक संघर्ष है। 
3. जि़न्दगी का कोई भरोसा नहीं है।
4. मैं सुन्दर/योग्य/स्मार्ट/शिक्षित/कुशल नहीं हूँ।
5. किसी को मेरी परवाह नहीं है।
6. मेरा दिल टूटा हुआ है या मेरा जिगर छलनी है।
7. इस जीने से तो मर जाना अच्छा है।
8. मेरी नाक कट गई है या मैं किसी को मुँह दिखाने के लायक़ नहीं बचा/बची।
9. मैं दुखी/परेशान हूँ। 10. मैं ग़रीब/मध्यमवर्गीय हूँ। 11. मेरी तक़दीर ही ख़राब है।

आपके माँ-बाप, गुरू, शिक्षक और स्कूल के सिलेबस आपकी नेगेटिव माईन्ड प्रोग्रामिंग कर चुके हैं। हर तरफ़ से आपके माईन्ड में डर और ग़म के नेगेटिव ख़याल और जज़्बात की कंडिशनिंग की जा रही है। अख़बार, न्यूज़ चैनल्स, टी.वी. सीरियल्स, सिनेमा, खेल और मनोरंजन के साधन तक आपके शाकिलह ;च्ंतंकपहउद्ध को जान बूझ कर लगातार बाँधते जा रहे हैं।

आपका शाकिलह (Paradigm) ही आपकी जि़न्दगी का ब्लू-प्रिन्ट है। इसी के मुताबिक़ आप व्यवहार करते हैं। जब यह शाकिलह (Paradigm) संकीर्ण विचारों के बन्धन में बंध जाता है तो आपका विकास रूक जाता है और आपके जीवन में तरह तरह की समस्याएं अपने आप जन्म लेने लगती हैं। यही ग़ुलामी आपको दुख दे रही है।
आप इस मानसिक दासता से मुक्त होकर सुखी और समृद्ध हो सकते हैं। अगर आप तैयार हैं तो इससे मुक्त होने की सबसे ज़्यादा शक्तिशाली और आसान वैज्ञानिक तकनीक हम आपको  सिखाएंगे।
ईश्वर की सबसे बड़ी आज्ञा यही है कि मनुष्य अपने कल्याण के लिए कर्म करे। हरेक मनुष्य का यही परम कर्तव्य है। इसी कर्म से उसका कल्याण होगा।

धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है
‘हमारा प्रभु परमेश्वर एक ही प्रभु है. और तू अपने प्रभु परमेश्वर से अपने सारे मन से और सारे प्राण से और अपनी सारी बुद्धि से और अपनी सारी शक्ति से परमेश्वर से प्रेम रखना। और दूसरी यह है कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, इससे बड़ी कोई और आज्ञा नहीं है।’ -बाइबिल, मरकुस 12:30-31
प्रेम आपको मुक्त करेगा, ग़ुलामी की हरेक बेड़ी और शिकंजे से।
प्रेम आपको मुक्त करेगा भविष्य के प्रति डर से, अतीत के ग़म से, शक से और नेगेटिविटी से।
प्रेम आपके मन को निर्मल करेगा, पाक करेगा।
प्रेम आपको आनन्द देगा, ख़ुशी से भर देगा।
...और आपको यह सब तुरन्त मिलेगा, इसी पल में। बस आप अपने दिल को सिर्फ़ प्रेम के विचारों से पूरी तरह भर लीजिए, यहाँ तक कि वह आपके व्यवहार में परोपकार और सेवा के रूप में छलकने लगे।
शक्ति भी शाँति भी भक्तों के गीत में है
धरती के बासियों की मुक्ति प्रीत में है

‘मुक्ति का पल’ यही वर्तमान पल है, जिसमें आप साँस ले रहे हैं। जिसमें आप पढ़ रहे हैं। जिसमें आप जीवन का सबसे बड़ा नियम सीख रहे हैं।
बस इस एक पल को आप अतीत के दुखों की यादों से और भविष्य के प्रति हरेक डर से आज़ाद रखें। आप मुस्कुराएं, आप बच्चों की तरह ख़ुश रहने की आदत डाल लें। आप ध्यान दीजिए कि ख़ुश रहने के लिए गोद के बच्चे किसी वजह की तलाश नहीं करते।
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम के पढ़े सो ज्ञानी होय।।


जो आप बोते हैं, वही काटते हैं
आकर्षण के नियम (The Law of Attractio) के अनुसार जैसा आपका शाकिलह (Paradigm) होता है, वैसी ही तरंगे आपसे हमेशा निकलती रहती हैं और फिर आपका अवचेतन मन वैसे ही लोगों, अवसरों और घटनाओं को जीवन में सहज ही आकर्षित करता रहता है। पॉजि़टिव या नेगेटिव, जैसी आपकी मानसिकता होती है। चेतन रूप से भी आप उन लोगों, अवसरों और घटनाओं का वैसा ही पॉजि़टिव या नेगेटिव इस्तेमाल करते हैं। जैसे आप कर्म करते हैं, वैसे ही आप फल पाते हैं।

आपके विचारों में बहुत ज़बर्दस्त चुम्बकीय शक्ति है। आकर्षण का नियम इस यूनिवर्स का  सबसे शक्तिशाली नियम है। यह नियम पक्षपात नहीं करता। चुनाव आपका अपना होता है। आपको ‘चुनाव की आज़ादी की शक्ति’ हासिल है। आपका चुनाव ही आपको बनाता और बिगाड़ता है। अक्सर लोग अपनी इस शक्ति से अन्जान हैं। आप जागरूक बनें और हमेशा अच्छे विचारों को चुनें।
प्रेम के विचार अच्छे बीज हैं, जो दिल में पनपते हैं तो दिल को बाग़-बाग़ कर देते हैं और कुछ समय गुज़रने पर वे अच्छे फल देते हैं। जिनसे जीवन में सुख-समृद्धि और ख़ुशी मिलती है, जिनसे कल्याण होता है।
अल्लाह के पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) ने फ़रमाया ‘‘सारी दुनिया अल्लाह का परिवार है।  अल्लाह को सबसे अधिक प्रिय वह आदमी है जो उसके बन्दों से अच्छा व्यवहार करता है।‘‘         (हदीसः मिशकात)
आप विचार, कर्म और फल के प्राकृतिक नियम को जितना ज़्यादा समझते जाएँगे, आप उतना ज़्यादा दूसरों के साथ प्रेम और सेवा का वही व्यवहार करेंगे जो कि आप दूसरों से अपने लिए चाहते हैं।

अब आप जान चुके हैं कि आप जो अच्छा बर्ताव एक जगह दूसरों के साथ करते हैं, वही बर्ताव किसी और जगह आपके साथ दूसरे ख़ुद ही करते हैं। इस तरह आप प्राकृतिक विधान के अनुसार अपने कर्मों का फल पाते रहते हैं।

सुख-दुख का विधान
‘और जब तुम्हारे रब ने (सुख-दुख का) विधान यह बताया था कि अगर तुम शुक्र करोगे तो मैं ज़रूर तुम्हें ज़्यादा (नेमतें) दूंगा और अगर तुम नाशुक्री करोगे तो मेरा अज़ाब (कष्ट) भी सख़्त है।’ -क़ुरआन 14ः7
आप ‘मौजूदा पल’ में अपने रब की मेहरबानियों को देखिए। उसकी नेमतोें को देखिए, जो आपको मानसिक और शारीरिक शक्तियों के रूप में और अन्य रूपों में मिली हुई हैं। उनकी क़द्र कीजिए यानि उनका सही इस्तेमाल कीजिए। आपका कल्याण निश्चित है।


शुक्र के ज़रिये अपनी शक्ति को बढ़ाते जाएं
‘शुक्र की विधि’ से आपको जि़न्दगी के हर पहलू में ज़्यादा नेमतें मिलेंगी। आप जिस नेमत पर रब का शुक्र करेंगे, वह बढ़ती चली जाएगी। आप आपनी ताक़त पर शुक्र करेंगे तो वह बढ़ जाएगी। आप अपनी औलाद पर रब का शुक्र करेंगे तो वह सलामत रहेगी और बढ़ती चली जाएगी। आप अपने माल पर शुक्र करेंगे तो वह बढ़ जाएगा। आप अपने ज्ञान पर शुक्र करेंगे तो आपका ज्ञान बढ़ जाएगा। आप अपनी तरक़्क़ी पर शुक्र करेंगे तो आप और ज़्यादा तरक़्क़ी करेंगे। आप प्रेम पर शुक्र करेंगे तो आपके दिल में ईश्वर का प्रेम बढ़ेगा।
प्रेम आपकी शक्ति है। भक्ति की आत्मा और इबादत की रूह यही प्रेम है। अपने दिल में उस एक अनन्त कृपावान दाता विधाता के प्रेम को हर पल महसूस कीजिए। इस ‘प्रेम-चेतना’ से आपकी मानसिक शक्ति बहुत ज़्यादा बढ़ती चली जाएगी। 
‘वह’ हमारे साथ है
इस ‘प्रेम-चेतना’ से आप उस एक अजन्मे परमेश्वर को अपने साथ महसूस करेंगे। जो आप पर अन्दर और बाहर हमेशा अनन्त कृपाएं करता रहता है। अब आप उससे अपने जिस काम में मदद माँगेंगे तो आपको उसकी मदद मिलेगी। वह उन शुक्रगुज़ार बन्दों की पुकार को ज़रूर सुनता है, जो उसके गुणों की तारीफ़ करते हैं और उससे सबके कल्याण की दुआ-प्रार्थना करते हैं।

सभी ऋषि और देवता, नबी और फ़रिश्ते उसी से माँगते और पाते आए हैं। सब उसी के नियमों के अधीन हैं। उस एक सर्वशक्तिमान मालिक के अपने साथ होने के विश्वास से आपको ख़ुशी मिलेगी।
यह ख़ुशी आपको हरेक डर और ग़म से मुक्ति देगी। अब आपके मन में बुरे कल्पना-चित्रों की जगह अच्छे कल्पना-चित्र बनेंगे, जो कि दिमाग़ की भाषा का बहुत अहम हिस्सा हैं।
न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग के अनुसार आप अपने विश्वास, भावना और कल्पना-चित्रों को अच्छा बना कर अपना कल्याण कर सकते हैं।

इस आधुनिक तकनीक को जानने के बाद आप अपनी और अपने समाज की भलाई में किसी काम इरादा करेंगे तो वह काम अपेक्षाकृत आसानी से हो जाएगा। आपकी हर जायज़ मुराद ज़रूर पूरी होगी।
हम सभी सत्पुरूषों में और नबियों में आस्था रखते हैं। हम उन सबके शुक्रगुज़ार हैं, जिन्होंने हमें लोक परलोक में कल्याण पाने की विधि सिखाई। कल तक उनकी विधि केवल धर्म की बात मानी जाती थी लेकिन आज वह साईन्स की तकनीक के रूप में विकसित देशों में पढ़ाई जा रही है।

होमवर्कः पहला कल्याणकारी पाठ
आज मॉडर्न सायकॉलोजी के स्कॉलर यह बता रहे हैं कि हम प्रेम और सेवा को अपना नज़रिया बना कर अपनी जि़न्दगी में ख़ुशहाली और कामयाबी पा सकते हैं। आप जीते जी ही स्वर्ग के आनन्द को अपने दिल में महसूस कर सकते हैं क्योंकि आनन्द और ख़ुशी एक मनोदशा (State of Mind) है। जिसे आप बाहर तलाश कर रहे हैं, वह आपके ही अन्दर है।

सबसे पहला और बुनियादी पाठ यही है। इसका आपको अभ्यास रोज़ करना है। रोज़ सुबह आँख खोलते ही यह संकल्प 3 बार दोहराएं कि
‘मैं शुक्रगुज़ार हूँ क्योंकि वह सर्वशक्तिमान मेरे साथ है, जो मुझ पर बहुत मेहरबान है। मैं उसी की मदद से प्रेम और सेवा के काम करता हूँ। मैं ख़ुश हूँ। शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया!’
आप दिन में बार बार अपने मन को चेक करते रहें कि मेरे मन में प्रेम और सेवा का भाव है या उसकी जगह शिकायत और नाराज़गी ने या डिप्रेशन ने ले ली है।
Self Talk को चेक करते रहें। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक Haleh Banani का वह वीडियो इन्टरनेट पर मौजूद है जिसमें उन्होंने बताया है कि एक आदमी एक मिनट में 500 शब्द सोचता है, जिनमें 85 प्रतिशत नेगेटिव होते हैं। शुक्र के बोल मन में बार बार दोहरा कर आप इसे पॉजि़टिव बना सकते हैं।
Attitude of Grattitude के फ़ायदों के बारे में इन्टरनेट पर ख़ुद भी पढ़ें और उन्हें अपनी डायरी में नोट करते रहें। आपके जीवन में चमत्कार होने लगेंगे।
आप दिन में भी बीच बीच में 3-3 बार यह संकल्प दोहराते रहें।
रात को सोते समय भी ईश्वर अल्लाह का शुक्र करें कि आज आपने उसकी अनमोल नेमतों से फ़ायदा उठाया और अच्छे काम करते हुए एक अच्छा दिन बिताया है। शुक्रगुज़ारी का एटीट्यूड अपनाएं।
इसी के साथ यह भी बहुत ज़रूरी है कि जिन लोगों ने आपके साथ कुछ बुरा किया हो, जिनसे आपको शिकायत हो, उन्हें आप रोज़ रात को सोते समय क्षमा कर दें, माफ़ कर दें। इससे आपके मन की गाँठें घुल जाएंगी। आपके मन के रोग दूर हो जाएंगे। इन से ही आपके तन में गाँठें बनती हैं और दर्द होता है।
वैज्ञानिकों ने अपनी ताज़ा रिसर्च में पाया है कि दबे हुए ग़ुस्से, नाराज़गी और डर से हॉर्मोन्स का बेलेन्स बिगड़ता है। ख़ून में ैजतमेे भ्वतउवदम का लेवल बढ़ जाता है। ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है। इम्यून सिस्टम ठप्प हो जाता है। नर्वस सिस्टम ‘फ़ाईट और फ़्लाइट  मोड’ में चला जाता है। शरीर की कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों का पोषण और उत्सर्जन ठीक से नहीं हो पाता। इससे कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ होती हैं। माफ़ी के अमल से आप इन जानलेवा बीमारियों की जड़ को ही काट डालते हैं।
मोटापा, थायरॉइड, डायबिटीज़, एलर्जी, अस्थमा, माइग्रेन, ट्यूमर और गंजापन आदि आपकी सारी बीमारियों की असल जड़ आपके पैराडाइम में, आपके अवचेतन मन में है।

कोई आप से माफ़ी माँगे या न माँगे लेकिन आप अपने कल्याण, अपनी फ़लाह के लिए माफ़ी को अपनी आादत बना लें। पुरानी कड़वी यादों को दिल से मिटा दें। इससे आपके मन से भविष्य में अपने साथ कुछ बुरा होने का डर भी निकल जाएगा। माफ़ करने का फ़ायदा आपको ही मिलेगा।
जो व्यक्ति आपसे अपने दिल में नफ़रत रखता है, उसकी नफ़रत उसे ही खा रही है लेकिन वह जानता नहीं है। उसकी नेगेटिव एनर्जी का बुरा असर उसी की सन्तान, सेहत और आय को खा रही है। वह समझता है कि किसी ने उस पर जादू करवा दिया है या उसके ग्रह ख़राब चल रहे हैं। हक़ीक़त यह है कि वह ख़ुद ही ख़राब चल रहा है। जो कोई ज़्यादा जानना चाहे, इन्टरनेट पर इस बारे में मौजूद किताबों और लेखों को पढ़ सकता है

प्रतिरोध (Resistence) से रहें होशियार
आप किसी विचार और कर्म को बार बार दोहराते हैं तो वह आपकी आदत बन जाती है। पुरानी आदत को बदलना हो तो नई आदतें विकसित करनी पड़ती हैं। जब आप अपने अन्दर अच्छी और नई आदतें बनाना शुरू करेंगे तो आपका अवचेतन मन (Subconscious mind) प्रतिरोध करेगा। पुरानी आदत के मुताबिक़ आपके मन में बार बार ग़ुस्सा, डर, चिन्ता, शक, डिप्रेशन और नेगेटिविटी की भावना पलट कर आएगी।
ऐसा सबके साथ होता है। यह नेचुरल है। इससे डरना या घबराना नहीं है। आप समझ लें कि ‘कार्य प्रगति पर’ है। पुरानी आदतें कुछ समय तक ज़ोर मारेंगी। उनसे लड़ना नहीं है और न ही उनकी तरफ़ ध्यान देना है। वे ख़ुद ही समय के साथ मिटती चली जाएंगी।
बस आप अपने संकल्प को दोहराते रहें और मुस्कुराते हुए ख़ुशी के साथ प्रेम और सेवा करते रहें। आप अपने अभ्यास को लगातार करते रहें।


आप डटे रहें, कामयाबी निश्चित है
इस तरीक़े से करोड़ों लोगों को कामयाबी मिली है। उनके शादी-ब्याह हुए हैं, उनके घरों में झगड़े बन्द हुए हैं, तलाक़ होने से बची है, उन्हें रोज़गार मिले हैं, उन्हें विदेश यात्राओं के अवसर मिले हैं, उनके कारोबार में मुनाफ़ा बढ़ा है, ग़रीबों को दौलत मिली है, सड़क के किनारे सोने वालों को और किराए के मकान में रहने वालों को आलीशान कोठियाँ और कारें मिली हैं, बाँझ औरतों और कमी वाले मर्दों को औलाद की ख़ुशी मिली है, बीमारों को सेहत, दुखियों को ख़ुशियाँ मिली हैं।

https://www.2knowmyself.com/directory जैसी इन्टरनेट पर Wellness Sciences की सैकड़ों वेबसाईट्स हैं, जहाँ ये गवाहियाँ और सुबूतReal Stories के नाम से पढ़ी जा सकती हैं।
 How to be rich easily?

आप भी अपने सपने साकार कर सकते हैं। आप भी एक भरपूर और ख़ुशहाल जि़न्दगी जी सकते हैं। अब यह मुमकिन है।
हम आपको सिखा रहे हैं दिल और दिमाग़ की भाषा (TN-NLP)
आज ‘वेलनेस साईन्सेज़’ के नियमों को दुनिया भर में सीखा और सिखाया जा रहा है। डॉक्टर अनवर जमाल साहब ने अपनी 30 साल की रिसर्च में पाया है कि ये नियम तिब्बे नबवी में सदियों से दर्ज हैं। मैं ख़ुशनसीब हूँ कि मैं उनका बेटा हूँ। उन्होंने जि़न्दगी को हसीन, आसान और कामयाब बनाने वाले नियमों को जमा किया और उसे Allahpathy का नाम दिया। उन्होंने हमें बचपन से ही इन नियमों को सिखाना शुरू कर दिया था। बरसों हमने इन्हें थोड़ा थोड़ा करके सीखा, समझा और इनकी प्रैक्टिस की।
मल्टीनेशनल कम्पनियाँ इनसे लाभ उठाने के लिए करोड़ों डॉलर ख़र्च कर रही हैं। अरबों-खरबों डॉलर कमा रही हैं।

Neuro Linguistic Programming के एक वेलनेस कोच दो दिन में 16 घंटे के सेशन के 80,000 डॉलर लेते हैं। जो कि इन्डियन करेन्सी में 56,00,000/- रूपये होते हैं। हम छप्पन लाख रूपये का यह सेशन आपको बहुत कम फ़ीस पर कराएंगे।
इस क़ीमती वेलनेस कोर्स को करने का पात्र वह व्यक्ति माना जाएगा जो कि यह तीन काम कर लेगा-
1. जो रोज़ इस पहले पाठ को अच्छी तरह पढ़ता रहे ताकि याद हो जाए और किसी को बताना हो तो ज़ुबानी बता सके। इसकी ख़ूब अच्छी तरह प्रैक्टिस कर ले।
2. अपने मिलने वालों से यह स्प्रिच्युअल साईन्टिफि़क नॉलेज शेयर करे, उन्हें कल्याण के विधि विधान की जानकारी दे।
3. इसे छपवाकर, फ़ोटो स्टेट करवाकर या हमसे मंगवा कर कम से कम 100 लोगों तक उनकी भलाई की नीयत से पहुंचाए और उन्हें भी यह पाठ ज़ुबानी याद करवा दें ताकि वे भी इसका अभ्यास कर सकें। फिर उनके नाम, पते, एजुकेशन, उनकी रूचि, ईमेल एड्रेस, व्हाट्सएप्प नम्बर और मोबाईल नम्बर जमा करके हमारे वेलनेस सेन्टर के पते पर भेजें। हमारी तरफ़ से उन्हें समय समय पर कल्याणकारी जानकारी मुफ़्त भेजी जाएगी।
इस कल्याणकारी ज्ञान को हरेक आदमी हरेक भाषा में बिना काट-छाँट किए प्रकाशित करके वितरित कर सकता है।
ये तीन काम करके आप अपनी ऊर्जा के पैटर्न में सकारात्मक बदलाव लाते हैं। जो आपके लिए शुभ और मुबारक होगा। जब आप दूसरों के कल्याण की नीयत से उन्हें अच्छी बातों का ज्ञान देते हैं तो आप कल्याणकारी कर्म करते हैं। जब आपका यह कर्म पलटकर आपकी तरफ़ आएगा तो अच्छे फल के रूप में आएगा और इस तरह निश्चित रूप से आपका कल्याण ही होगा। आपके अटके हुए या बिगड़े हुए काम बन जाएंगे। आपको विकास के नए अवसर मिलेंगे।

इसके बाद अब आप हमारा क़ीमती वेलनेस कोर्स करने के अधिकारी बन जाते हैं। वेलनेस कोर्स के लिए आप अपना नाम, पता, मोबाईल नम्बर, व्हाट्सएप्प नम्बर, ईमेल, आयु, लिंग, एजुकेशन, अनुभव और लक्ष्य आदि लिखकर हमें अब दे सकते हैं या बाद में हमें व्हाट्सएप्प या ईमेल कर सकते हैं.
मोबाईल नम्बरः 07828366485, 09760695571
ईमेलः
anaskhanphd@gmail.com
आप इस वेलनेस कोर्स को करने के बाद वेलनस कोच, लाईफ़ कोच, सक्सेस कोच और मैरिज काउन्सलर बन सकते हैं। इसके ज़रिए आप जनसेवा कर सकते हैं। इसे आप अपने करिअर के रूप में भी अपना सकते हैं। अपनी सेवा के बदले आप फ़ीस भी ले सकते हैं। हमारी संस्था आपको प्रशिक्षण के बाद सर्टिफि़केट भी देगी।
इसी के साथ ‘Paradigm Healing Drench, पुलिस लाईन्स के गेट के पास, बुलन्दशहर, उ.प्र. भारत’ की तरफ़ से एक हेल्पलाईन नम्बर की सेवा भी आपके लिए है। आपमें से कोई भी बहन या भाई या बच्चा या कोई बुज़ुर्ग अपने जीवन में दुख, निराशा, तनाव या कोई प्रॉब्लम महसूस कर रहा हो तो वह हमें कॉल कर सकता है। अपने कल्याण के लिए सही सलाह और मार्गदर्शन या किसी भी समस्या का समाधान पा सकता है।
अगर आपका बच्चा टी.वी., मोबाईल या वीडियो गेम की लत की वजह से अपनी पढ़ाई नहीं करता है या उसका व्यवहार बिगड़ गया है या वह बुरी संगत में पड़कर नशे का आदी बन गया है या वह सब कुछ ठीक होते हुए भी वे अपनी पढ़ाई में पिछड़े हुआ है या उसकी मेमोरी कमज़ोर है या उसके शरीर का विकास ठीक से नहीं हो रहा है या उसे कोई अन्य बुरी आदत पड़ गई है तो उसके ‘पेराडाइम’ की हीलिंग करके उसे सुधारा जा सकता है।
आप दुआ के लिए भी अपना नाम और अपनी समस्या लिखवा सकते हैं।
जो बीमार बहन भाई आर्थिक कारण से अपना इलाज न करा पा रहे हों, उन्हें इलाज में भी यथासम्भव मदद दी जाती है। अस्थमा, कैन्सर, लिवर व पेट रोग या गुर्दा फ़ेल होने पर डायलिसिस कराने वाले मरीज़ों के गुर्दों का सफल इलाज करने वाले डॉक्टर्स की जानकारी बिल्कुल मुफ़्त दी जाती है।

हेल्प लाईन नम्बरः 07828366485
समयः केवल सुबह 11 बजे से 12 बजे दोपहर तक व शाम 4ः00 बजे से 5ः00 बजे तक
‘आर्याना ब्यूटी सेन्टर, बुलन्दशहर’ के माध्यम से स्किन, हेयर, फि़टनेस के साथ सभी सौन्दर्य समस्याओं के बारे में सलाह भी बिल्कुल मुफ़्त दी जाती है।

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इसके अलावा जनकल्याण के लिए हमारी वेलफ़ेयर सोसायटी की ओर से सबके लिए एक वेलनेस क्लास का आयोजन हरेक महीने के पहले इतवार को किया जाता है। यह क्लास पूरी तरह निःशुल्क है। किसी को साथ लाना चाहें तो उसे साथ भी ला सकते हैं। माता-बहनों के लिए उचित व्यवस्था रखी जाती है। ऊपर दिए गए तीन काम पूरे न किए हों तो भी आप इस क्लास में शामिल हो सकते हैं।

हमारी नीयत है कि आपका कल्याण हो, आपका भला हो। इसीलिए हमने वेलनेस के इस महान ज्ञान की होम डिलीवरी का यह अभियान शुरू किया है।
हमें ख़ुशी है कि हमें हर तरफ़ से आप सबका प्रेम और सहयोग मिल रहा है। हम आपकी सेवा के लिए सदैव तत्पर हैं।